सम्राट पृथ्वीराज चौहान

बाबा चाहिर देव चौहान

बाबा बरियार शाह

बाबा मधुकर शाह

बाबा जालिम शाह

दिल्ली पति सम्राट पृथ्वी राज चौहान के भाई महापुरुष चाहिरदेव चौहान ने सन् -1248 ई. में काली नदी के तट पर  मैनपुरी में अपना राज्य स्थापित किया था उनके चौथी पीढ़ी में बाबा बरियार शाह ने मैनपुरी से जमुवाआ , सुल्तानपुर में अपने गढ़ी की स्थापना किया था उसी पीढ़ी में आगे भदैंयाराजकुंवर के वंशज लोकप्रिय बाबा मधुकर शाह ने अपने नाम से मेवपुर की स्थापना किया आगे उसी पीढ़ी में मेवपुर शिरोमणि अमर बलिदानी बाबा ज़ालिम शाह की समाधि स्थल लगभग-२३० वर्ष पुराना १७९० ई॰ में मेवपुर रियासत के पूर्वजों द्वारा निर्मित है जो मेवपुर बरचौली ,सुल्तानपुर, उत्तर प्रदेश में स्थित है , ज़ालिम बीर बाबा अत्यंत बीर , लोकप्रिय, जननायक , प्रजापालक एवं अद्वितीय महापुरुष थे !

अमर बलिदानी ज़ालिम वीर बाबा समाधि शक्ति स्थल

मेरा सौभाग्य है कि मेरे बचपन का एक बड़ा भाग पितामह के सानिध्य में रहा है जिसके कारण पूर्वजों व अतीत के प्रति अत्यंत लगाव अथवा प्रभावित रहा हूँ ! पितामह का जन्म मेवपुर रियासत में होने के उपरांत भी अपने जीवन में कठिन परिश्रम के साथ-साथ जुझारू प्रवृत्ति के थे संपूर्ण जीवन संघर्ष मय रहा ! देश स्वतंत्र हुआ तदुपरांत उनका संघर्ष की प्रवृत्ति ने उनको कभी विश्राम नहीं करने दिया ! स्वाभिमान व अपने शानो शौक़त से कोई समझौता ही नहीं किया, द्वार पर आये किसी व्यक्ति को कभी निराश नहीं किया !रोबीला चेहरा,बड़ी-बड़ी मूँछें मेरे मन मस्तिष्क में अमिट है ,गौसेवक,स्वाभिमानी,निडर,न्याय प्रिय,अतिथि प्रेम, ऊँच-नीच, जाति-धर्म के भाव से रहित,शरणागत की रक्षा, क्षमा, दान,शील इन सब खूबियों के साथ अत्यंत ग़ुस्सैल तथा ज़िद्दी स्वाभाव के थे जो ठान लिया तो ठान लिया फिर पीछे हटने का प्रश्न ही नहीं,कौन उनके साथ है और कौन नही है इस बात की परवाह ही नहीं किया,चट्टान की भाँति अडिग,उनके जीवन में असंभव शब्द नहीं थे मेरा ऐसा मानना है कि ऐसे दृढ़ निश्चयी व्यक्ति के साथ परमात्मा की अदृश्य शक्तियाँ साथ होती हैं क्योंकि जो मैंने देखा है कि कभी उनको निराश,तथा असफल होते हुए नहीं देखा और ना ही उनके मित्रों व उनसे असहमत रहने वालों से ही ऐसा सुना !
अद्भुत अथवा विलक्षण शक्तियों के धनी थे गृहस्थ जीवन में रहते हुए भी आध्यात्मिक शक्तियों के प्रतीक थे गायत्री मंत्र का नियमित जाप व शिव के परम भक्त थे,इसके साथ ही साथ परम पूजनीय ज़ालिम बीर बाबा के प्रति अगाध श्रद्धा व सम्मान था । किसी पर्व व उत्सव में उनके चरणों में नतमस्तक होना उनकी प्राथमिकता थी,पितामह के साथ-साथ मेरे पिता जी श्री रामलला सिंह जो पिता के साथ-साथ शिक्षक की भूमिका में रहें एंव दिवंगत श्रद्धेय माता जी जो २८ नवंबर २०२२ को निर्वाण धाम को गमन किया इनसे भी परम पूजनीय ज़ालिम बीर बाबा के प्रति प्रेरणा मिलते हुए और यह सब बाल्यकाल से देखते हुए मै १५ वर्ष का युवा होने के उपरांत २५ फ़रवरी १९८४ को पितामह ने एक महात्मा की भाँति निर्वाण धाम को प्राप्त हुए संभवतः यही कारण है कि पितामह का अलौकिक व अदृश्य मार्गदर्शन तथा परम पूजनीय ज़ालिम बीर बाबा की असीम कृपा से मुझे समाधि शक्ति स्थल के जीर्णोद्धार कार्य हेतु निमित्त बनाया गया है !
आज भी श्रद्धेय पितामह का निरंतर मार्गदर्शन मिलता रहता है,अब श्रद्धेय माता जी के भी अलौकिक स्नेह का अधिकारी हूँ क्योंकि श्रद्धेय माता जी की अंतिम इच्छाओं में से एक परम पूजनीय “ज़ालिम बीर बाबा” के समाधि शक्ति स्थल का जीर्णोद्धार था जो लौकिक रूप से नहीं देख सकी है परन्तु आशा है कि अलौकिक रूप से अवश्य देख रही होगी !
अत: निश्चित रूप से सौभाग्य प्राप्त हुआ है कि मैं पितामह परम श्रद्धेय श्री रंग बहादुर सिंह का मार्ग दर्शन तथा परम स्नेही श्रद्धेय माता सरस्वती देवी का कृपा पात्र हूँ !

भानु प्रताप सिंह “मेवपुर”

प्रेरणा स्रोत एवं आदर्श पुरुष पितामह
स्वर्गीय श्री रंग बहादुर सिंह

२ अक्टूबर २०२४ को अमर बलिदानी बाबा ज़ालिम शाह (समाधि) शक्ति स्थल के परिसर में पितृ विसर्जन के पावन अवसर पर मेवपुर परिवार के वरिष्ठ सदस्य श्री राम लला सिंह, श्री अखंड प्रताप सिंह, श्री अशोक सिंह, श्री महेन्द्र प्रताप सिंह, श्री राम लौटन सिंह, श्री दिनेश सिंह, श्री बृजेश सिंह,श्री देवेंद्र सिंह, श्री अतुल सिंह एवं अन्य गण मान्य मेवपुर नगर वासियों के उपस्थिति में हवन,श्रध्देय पितृ गण को भोग अर्पित एवं समाधि स्थल पर श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया तत्पश्चात् मेवपुर नगर आम नागरिक गण ने प्रसाद ग्रहण किया !
साभार से-भानु प्रताप सिंह,मेवपुर